Description
ब्रह्मा जिन्हें सृष्टि के सृजन हार तथा पालनहार के रूप में सनातन धर्म में जाना जाता है जिस प्रकार भगवान ब्रह्मा चारों दिशाओं को अपने चारों मुख्य से देखते हैं तथा जीवन का सृजन करते हैं उसी प्रकार चार मुख वाला रुद्राक्ष भी चारों दिशाओं से गति प्रदान करने वाला माना जाता है ब्रह्मा जी जिन्हें चारों वेदों का निर्माता कहा जाता है तथा माता सरस्वती मां वाग वादिनी – जिन्हें ज्ञान विद्या संगीत कला की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है जो अनेक ब्रह्म ज्ञान विद्या की देवी है।
उनकी तथा स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा जी की शक्तियां 4 मुखी रुद्राक्ष में विद्यमान होती है यह रुद्राक्ष पारलौकिक शक्तियों का स्वामी होते हैं जो ब्रह्म ज्ञान तथा ज्ञान की देवी की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है इसमें चार धारियां मौजूद रहती है जो कि इस के नामकरण के लिए उपयोग में लाया जाता है इन्हीं चार धारियों की वजह से रुद्राक्ष को चार मुखी कह कर संबोधित किया जाता है।
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विश्व में कई ऐसे देश है जो इस अनुपम मनके से समृद्ध है भारत में भी रुद्राक्ष के 400 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है किंतु समय के बदलाव के कारण अभी इनकी संख्या भारतवर्ष में काफी कम हो गई है भारतवर्ष के पड़ोसी राज्य में इनका उत्पादन अधिक देखने को मिलता है ।
खासकर भारत का पड़ोसी राज्य म्यानमार एवं नेपाल जहां अच्छे मात्रा में रुद्राक्ष की उपलब्धता मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष प्रायः ऐसा माना जाता है कि हिमालय की कंदरा से प्राप्त होते हैं इनके उत्पादन के लिए या इनके वृद्धि के लिए वातावरण में सही स्पंदन होना बहुत आवश्यक है जो कि इनके सही वृद्धि विकास के लिए बहुत आवश्यक माना जाता हैै।
चार मुखी रुद्राक्ष का केवल अध्यात्मिक या धार्मिक क्षेत्र से ही संबंध नहीं माना जाता है अपितु इसका संबंध बुध ग्रह से भी काफी गहरा माना जाता है बुध ग्रह का अधिपत्य एवं नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण 4 मुखी रुद्राक्ष को माना जाता है इसलिए किसी भी प्रकार के बुध ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने में 4 मुखी रुद्राक्ष का महत्व बहुत अधिक होता है –
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1.ऐसे जातक जो शिक्षक है लेखक है वक्ता है पत्रकार है या किसी भी प्रकार से शोध संबंधित चीजों में संलग्न है या वक्ता है या नेता है या ऐसे लोग जो कला के क्षेत्र में है यदि ऐसे लोगों के द्वारा यह प्रभावशाली मन का धारण किया जाता है तो उनमें कई दिव्य बदलाव देखने को मिलते हैं।
उनके व्यक्तित्व में चमत्कारिक आकर्षण देखने को मिलता है उनका वाणी तंत्र बहुत मजबूत होता है उनकी प्रचार तंत्र में बहुत ही उत्तम परिवर्तन देखने को मिलते हैं उनका व्यवहार आचार विचार बहुत ही व्यवस्थित तौर पर कार्य करता है जो उनके लिए अधिक अनुकूल अवसर प्रदान करता है जिसमें उनके सफलता प्राप्ति के योग बहुत अधिक बढ़ जाता है
2. कई लोग ऐसे होते हैं जो विभिन्न गुणों के स्वामी होते हैं अनेक कौशलों के स्वामी होते हैं किंतु उनमें चीजों को व्यवस्थित तौर पर प्रस्तुत करने की कला नहीं होती है वह चाह कर भी अपने आप को अच्छे तरीके से किसी के समक्ष जुड़ने की कला में माहिर नहीं रह पाते हैं ।
अंतर्मुखी होने के कारण लोगों से जुड़ने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है जिसकी वजह से लोगों के समक्ष कैसे अपने ज्ञान का प्रदर्शन अपनी भावनाओं का अपने विचारों का कैसे किसी के समक्ष रखना हैl उन्हें इस कला में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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ऐसे व्यक्ति विशेष को 4 मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए इससे उनमें व्याप्त हिचक या आत्मविश्वास की कमी दूर होती है तथा अपने बातों को विचारों को दूसरा तक पहुंचाने में काफी सबल होते हैं जिससे लोग उनके विभिन्न कौशलों से परिचित होते हैं एवं समाज में जातक की मान प्रसिद्धि ख्याति बढ़ती है उनके शर्मीले स्वभाव तथा कमजोर पहलुओं से उबरने में बहुत ही प्रभावित ढंग से सुचारु करने में मदद करते हैं।
3. से जातक जो बुध के खराब प्रभाव के कारण कई प्रकार के बीमारियों से ग्रसित होने लगते हैं जिसकी वजह से उन्हें बोलने में परेशानी होती है तथा दांतों से संबंधित किसी भी कार से ग्रसित होते हैं या मस्तिष्क का कोई विकार हो या कमजोर याददाश्त की समस्या हो या लकवा जैसी स्थिति हो या त्वचा से संबंधित कोई रोग हो या दमा जैसे रोग हो।
ऐसी किसी भी तरह की बीमारी जो खराब या दृष्ट बुध ग्रह के दुष्प्रभाव के कारण उत्पन्न हो रही है तो ऐसी परिस्थिति में 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है तथा उपर्युक्त वर्णित कई प्रकार की बीमारियों में यह बहुत ही लाभप्रद होता है।
4. विद्यार्थी वर्ग के लिए तो यह किसी दिव्य वरदान से कम नहीं है यह उनके स्मृति को समृद्ध करने में बहुत मदद करता ही है इसके साथ-साथ उनके कई ऐसे पहलुओं पर सकारात्मक परिवर्तन प्रदान करता है जिसकी इच्छा हर एक विद्यार्थी वर्ग के लोगों की होती है यह उनके रचनात्मक कौशल को बड़ी ही अपूर्व रूप से सुदृढ़ बनाता है उनके कई ऐसे कमजोर पहलू पर सकारात्मक प्रभाव डालता है जो उनकी सुदृढ़ता का कारक बनता है यह उनके मानसिक क्षमताओं को बहुत अधिक बढ़ा देता है जिससे चीजों के प्रति प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए।
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उससे संबंधित उनकी दूरदर्शिता में वृद्धि होती है उनके सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है जिससे विभिन्न विषयों का अध्ययन करने में उन्हें काफी सफलता प्राप्त होती है उनका बौद्धिक स्तर पहले की तुलना में बहुत अधिक बढ़ जाता है यह उनमें तार्किक क्षमता का भी उद्गम करता है जिससे जातक वास्तविक जीवन के कई चीजों के साथ पारस्परिक संबंध स्थापित करने में सफल सिद्ध होता है वाकपटुता जैसी कौशलता में वह निपुण होता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से 4 मुखी रुद्राक्ष का महत्व काफी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि यह नकारात्मक विचारों का दमन करता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह किसी भी व्यक्ति विशेष के अंदर बढ़ा देता है जिससे व्यक्ति विशेष ब्रम्हचर्य जैसे कठिन विषय वस्तु को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने में सफल होता है इसके साथ ही ईश्वर पर आस्था का भाव भी बहुत अधिक मजबूत होता है
धार्मिक जीवन जीने वाले व्यक्तियों के लिए उनकी ज्ञानेंद्रियों पर उनकी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक होता है ऐसे में यह उत्कृष्ट मनका इन सभी पहलुओं पर बहुत ही सकारात्मक रूप से परिवर्तन करने में सक्षम होता है यह उन्हें अनुपम प्रभाव प्रदान करता है तथा ईश्वर से जुड़ने के सारे मार्ग खोल देता है।
परम ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करने के सारे मार्ग को प्रस्तत कर देता हैl यह मनका आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करने में बहुत अधिक सहायक होता है।
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